jab kabhi mukhaute ke peeche se mera chehra hua hai roshan …unki aankhon mein bijli si tilmila uthi…ki kyun zinda hun main in murdon ki basti mein rehkar…..ki kiss mitti ka bana hun ki MAIN marta hi nahi….yeh kaise mere apne hain iss samaaj mein,,ki mere zinda hone pe fikrmand hain yeh.maatam kartin hain inki aankhein,mujhmein mujhko zinda dekh.
” दुनिया मे अपनी पह्चान से अलग,
इन्सान के अन्दर एक और इन्सान होता है!
सामाजिक व्यवहार के अपने कानून कायदे होते हैं,
इसलिये अपनी छवि के साथ असली “मै” को ढोता है!
सबसे अलग चलना आसान नही होता,
इसलिये भीड मे शामिल हो वो ” मै” को खोता है!
—–
आदरणीय इर्शादजी,
आज आप से बात हुइ उस का आनंद व्यक्त करने के लिये यह लिख रहा हूं. एक अनजान व्यक्ति जो कि हजारों माइल दूर है (लेकिन जो आप की कविता और शायरी का बहूत ही बडा कायल भी है) उस से इस कदर वक्त निकालकर बातचीत करना यह आप के मिलनसार निजी स्वभाव का परिचय भी देता है.
जैसा कि मैने आप से अर्ज किया है मुझे आप का ‘एक्शन रिप्ले’ का गाना “तेरा मेरा प्यार….” इतना पसंद आया है कि पूछीये ही मत. पूरा लेख उस पर लिखा है जो कि अगले रविवार को मुंबइ में मेरे कालम ‘गाना खजाना’ में प्रसिध्ध होनेवाला है. उस में भी यह ध्रुव पंक्ति…“अब तेरी सोच में रहता हूं मै….” सर जी, मै मानता हूं कि यह भाव कि “मै किसी ओर की सोच में रहता हूं” हिन्दी फिल्मी गानों में शायद पहली बार आया है. मै इस शायरी का कायल हूं.
फिर अंतरों में भी आपने क्या कमाल लिखा है!… जैसे यह पंक्तियां
“थोडा नया, थोडा जुदा,
लगता है वो दिन तु जिस दिन मिले,
मेरा दिल युं खिले, मिटे खुदा से भी गिले…”
आज आप से मिलना हुआ (भले ही फोन के माध्यम से) तो हमारे भी अल्लाह मियां से जो भी गिले थे वो कम हो गये. (पूरे खतम उस दिन होंगे जब आप से रूबरू हो पायेंगे…. इन्शाअल्लाह!)
-आपकी शायरी का एक अदना चाहनेवाला
सलिल
सच कहा.. समाज हमारा असली चेहरा देखना नहीं चाहता और मुखौटे के पीछे छिपा चेहरा उसे पसंद नहीं आता
Suhel shayad yahi baat hai.
samaj ko iss baat se aitraaz nahi ki hum mukhauta lagaye huye hain,usey iss baat se aitraaz hai ki hum apni asli shakl ab tak bhoole nahi….
jab kabhi mukhaute ke peeche se mera chehra hua hai roshan …unki aankhon mein bijli si tilmila uthi…ki kyun zinda hun main in murdon ki basti mein rehkar…..ki kiss mitti ka bana hun ki MAIN marta hi nahi….yeh kaise mere apne hain iss samaaj mein,,ki mere zinda hone pe fikrmand hain yeh.maatam kartin hain inki aankhein,mujhmein mujhko zinda dekh.
Tasveer very gud. keep it up.
Rajni sahi kaha aapne.
Once I wrote—
” दुनिया मे अपनी पह्चान से अलग,
इन्सान के अन्दर एक और इन्सान होता है!
सामाजिक व्यवहार के अपने कानून कायदे होते हैं,
इसलिये अपनी छवि के साथ असली “मै” को ढोता है!
सबसे अलग चलना आसान नही होता,
इसलिये भीड मे शामिल हो वो ” मै” को खोता है!
—–
Rachana sahi kaha.
आदरणीय इर्शादजी,
आज आप से बात हुइ उस का आनंद व्यक्त करने के लिये यह लिख रहा हूं. एक अनजान व्यक्ति जो कि हजारों माइल दूर है (लेकिन जो आप की कविता और शायरी का बहूत ही बडा कायल भी है) उस से इस कदर वक्त निकालकर बातचीत करना यह आप के मिलनसार निजी स्वभाव का परिचय भी देता है.
जैसा कि मैने आप से अर्ज किया है मुझे आप का ‘एक्शन रिप्ले’ का गाना “तेरा मेरा प्यार….” इतना पसंद आया है कि पूछीये ही मत. पूरा लेख उस पर लिखा है जो कि अगले रविवार को मुंबइ में मेरे कालम ‘गाना खजाना’ में प्रसिध्ध होनेवाला है. उस में भी यह ध्रुव पंक्ति…“अब तेरी सोच में रहता हूं मै….” सर जी, मै मानता हूं कि यह भाव कि “मै किसी ओर की सोच में रहता हूं” हिन्दी फिल्मी गानों में शायद पहली बार आया है. मै इस शायरी का कायल हूं.
फिर अंतरों में भी आपने क्या कमाल लिखा है!… जैसे यह पंक्तियां
“थोडा नया, थोडा जुदा,
लगता है वो दिन तु जिस दिन मिले,
मेरा दिल युं खिले, मिटे खुदा से भी गिले…”
आज आप से मिलना हुआ (भले ही फोन के माध्यम से) तो हमारे भी अल्लाह मियां से जो भी गिले थे वो कम हो गये. (पूरे खतम उस दिन होंगे जब आप से रूबरू हो पायेंगे…. इन्शाअल्लाह!)
-आपकी शायरी का एक अदना चाहनेवाला
सलिल
Salil ji main kal Toronto ke liye rawaana ho raha hun…zaroor mulaqaat hogi. Aapka bahut shukriya.
Thank you so much, Sir. It will be a great day and great opportunity for me.
Happy journey, Happy landing and Welcome to Toronto!!