December 26, 2009

Ek Maheena Nazmon Ka

‘एक महीना नज़्मों का’ असलियत के आसमान में रोमानियत की उड़ान है। जवां सोच को लफ़्ज़ों में पिरोती हुई ये नज़्में कभी ख़्यालों का कोहरा बन जाती हैं कभी असलियत की चट्टानें। उम्मीद के धागों पर, बारिश के बाद पानी की बूंदों की तरह तैरते रंग-बिरंगे ख़्वाबों को ज़ुबान देती हैं ये नज़्में। ये नज़्में जो उम्र की हदों को पर करती हुईं सबकी होने की ताक़त रखती हैं।