December 26, 2009

तुम्हारी बात होती है

तुम्हारी बात होती है

या काँटा

जो चुभ जाता है

प्यार की राह पे चलते हुए

मेरे दिल के पाओं में

और लहू की धार दो हिस्सों में बाँट देती हैं उस राह को

.

तुम्हारी बात होती है

या मेरे उस वजूद में दरारें डालने की कोशिश

जिसे कमज़ोर करने की ख्वाहिश में

दुनिया हार गयी

धरती टूट गयी

बँट गयी सात महाद्वीपों में

.

तुम्हारी बात होती है

या तेज़ चाकू की धार

जो कानों से दिल तक

बराबर-बराबर बाँट देती है मुझे

और मैं अपने लहुलुहान प्यार की

नब्ज़ पे हाथ रखे

पल भर के लिए दम तोड़ते देखता हूँ उसे

.

कमबख्त प्यार भी कैसी शै है

पल भर मरता है

दूसरे ही पल फिर ज़िन्दा हो जाता है

मुझे मारने के लिए

तुम्हारी किसी नयी बात से

.

तुम्हारी बात होती है

या मेरी मौत की आहट

जो अनजाने चली आती है दबे पाओं !

–==–

6 responses to “तुम्हारी बात होती है”

  1. Rutuja says:

    very passionate, very powerful……greatly emotive …SUPERB

  2. Rutuja says:

    Irshadji, blogging Ur blog is really creative and gr8 experience, it is my nice habit and m luving dis sweet addiction 🙂
    + Thanx
    Surely, blogging here must be a treat…& more than it — for all your fans and friends.

  3. hazel bishwas says:

    aapka har lavz lahu luhaan hai … ehsaas ghayal hai..
    bohat achchha likha hai aapne Irshad ….
    Please accept my blessings once again … may you always write beautifully … and simply … in your very own style .

  4. Irshad Kamil says:

    Thanks a Lot,I am humbled.

  5. tasveer says:

    bahut jaan hai aapke likhe mein. padhne wale ki hi jaan nikaal le jata hai. bahut bahut bahut khoob.

  6. Reena Patel says:

    Bahut udasi bhari aur aansuon mein bheegi hui kavita hai. “कमबख्त प्यार भी कैसी शै है

    पल भर मरता है

    दूसरे ही पल फिर ज़िन्दा हो जाता है

    मुझे मारने के लिए

    तुम्हारी किसी नयी बात से

    ye panktiyan bahut he khoobsurat aur bhavuk kar dene wali hain, aapka jawaab nahin.

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