December 26, 2009

Geet, Geetkaari Aur Faiz-5

फैज़ साहिब के अंदाज़ पे बात करूँ तो गीतकार जावेद अख्तर साहिब का फैज़ साहिब से जुड़ा एक किस्सा याद आता है उनके मुताबिक अपने आखिरी भारत दौरे पे जब फैज़ साहिब मुंबई आये थे तो शहर के गीतकारों ने मिलकर उनके लिए एक शाम मुनक्किद की थी जिसमें फिल्मों से जुडे लगभग सभी चर्चित गीतकारों ने भाग लिया था! उसी महफ़िल में हसन कमाल साहिब भी थे! उन्होंने उस निशिस्त के दौरान कहा कि फैज़ साहिब जितना अच्छा लिखते हैं अगर उतना ही अच्छा पढ़ते भी तो कमाल हो जाता! फैज़ साहिब ने अपने पढने के अंदाज़ पर ये टिपण्णी सुन कर तुरंत उत्तर दिया, “मियां सब काम हम ही करें?…कुछ आप भी कर लो…” इस जवाब के साथ गीतकारों की महफ़िल ठहाकों से गूँज गयी! फैज़ जितने संजीदा थे, जितने गंभीर थे उतने ही खुशमिजाज़ भी! लिखने के अलावा उनकी एक और बात हमारे एक बहुत प्रिय और आदर्नीये गीतकार आनंद बक्षी जी से मिलती थी, वो थी आर्मी की पृष्ठभूमि! कई बार मुझे इस बात की हैरानी होती है कि इतना अनुशासन भरा  और सख्तजान जीवन जीने के बाद भी किसी में कवि या शायर कैसे ज़िन्दा बच पाता है! पर कवि और शायर इन महान लेखकों में ज़िन्दा ही नहीं बल्कि बाकायदगी से ज़िन्दा रहा! #OnFaiz

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